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Tuesday, 4 July 2017

India is More strong than China

चीन को उसकी औकात.1967 में ही बता दी गयी थी-
लेकिन क्योंकि हमारे देश मे दुर्भाग्य से इतिहास लेखन और शैक्षणिक तंत्र तथा मीडिया जो था वो चीनी मलमूत्र पर पले वामपंथी श्वानों के हाथ रहा इसलिए 1962 की हार का प्रचार तो खूब किया गया। लेकिन 1967 में भारतीय सेना द्वारा चीन को दी गयी अभूतपूर्व जूतांजलि की यह कहानी कभी नही पढ़ाई गयी।
इतिहास के दर्पण से-

देश के लोग ये तो जानते है कि चीन ने हमें 1962 में हराया, पर ये नहीं जानते कि 1967 में हमने भी चीन को हराया था।
चीन ने सिक्किम पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी।नाथू ला और चो ला फ्रंट पर ये युद्ध लड़ा गया था।चीन को ऐसा करारा जवाब मिला था कि चीनी भाग खड़े हुये थे।इस युद्ध में 88 भारतीय सैनिक बलिदान हुये थे और 400 चीनी सैनिक मारे गए थे।इस युद्ध के बाद ही सिक्किम भारत का हिस्सा बना था !
इस युद्ध में पूर्वी कमान को वही सेम मानेकशा संभाल रहे थे,जिन्होंने बांग्लादेश बनवाया था।
इस युद्ध के हीरो थे राजपुताना रेजिमेंट के मेजर जोशी,कर्नल राय सिंह,मेजर हरभजन सिंह,गोरखा रेजिमेंट के कृष्ण बहादुर,देवीप्रसाद ने कमाल कर दिया था।जब गोलिया खत्म हो गयी थी,तो इन गुर्खो ने कई चीनियों को अपनी खुर्की से ही काट डाला था ! कई गोलिया शरीर में लिए हुए मेजर जोशी ने चार चीनी ऑफिसर को मारा ! वैसे तो कई और हीरो भी है पर ये कुछ वो नाम है जिन्हें वीर चक्र मिला और इनकी वीरगाथा इतिहास बनी !!
मैं किसी पोस्ट को शेयर करने के लिये नहीं कहता,पर इसे शेयर करो ताकि अधिक से अधिक लोग जाने,दुःख की बात है कि बहुत कम भारतीयों को इसके बारे में पता है !!
आज फिर चीन सिक्कम पर गिद्धदृष्टि जमाये हुए है,इसी कारण उस ने मानसरोवर की पवित्र यात्रा में व्यवधान उत्पन्न किया है।हम चीनी सामान को ना खरीदे औऱ भारत-तिब्बत परिसंघ के साथ जुड़ कर तिब्बत की स्वतंत्रतता का समर्थन करे।

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