सब अपने अपने तरीके से बता रहे कि किसको उम्मीदवार बनाना ज्यादा बेहतर होता... तो सोचा हम भी थोड़ा बहुत दिमाग लगाते हैं... लेकिन फिर ध्यान आया कि उम्मीदवार किसी एक जाति का नहीं होना चाहिए नहीं तो उसे किसी न किसी कार्ड से जोड़ा जाएगा...
हो सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये कि इन पर जातीय समीकरण भी पूरी तरह फिट बैठता है... वो इस तरह कि...
'पंडित नेहरू' का परपोता होने के नाते इनमें 'ब्राह्मण' के गुण हैं...
'फिरोज़ खान' का पोता होने के कारण इनमें 'मुस्लिमों' को लेकर समझ काफी अच्छी है...
नाम में 'गांधी' लगा होने के नाते 'राष्ट्र पिता' के गुण भी मौजूद हैं...
'दलितों' के साथ भोजन करते हैं तो उनको भी अच्छे से समझते हैं...
भाषणों में इनकी आक्रामकता देखकर इनमें 'क्षत्रिय' वाले गुण भी नजर आते हैं...
माता 'ईसाई' धर्म से ताल्लुक रखती है तो पोप व चर्च का पूर्ण आशिर्वाद...
राजनीतिक महात्वाकांक्षा छोड़कर इन लोगों ने 'सिख समुदाय' के 'मनमोहन सिंह' को देश के प्रधानमंत्री पद पर बिठाया... यानि सिखों के भी बड़े वाले हितैषी हैं...
उम्र भले ही 47 साल के लगभग हो लेकिन अब भी 'युवा' हैं और 'युवा नेता' के रूप में पहचान भी है... मतलब साफ है युवाओं की भावनाओं को अच्छे से समझते हैं...
'शादी-शुदा' नहीं हैं इसलिए 'सिंगल' लोगों की परेशानी को भी अच्छे से समझ सकते हैं...
विदेश में पढ़े हुए हैं तो वैश्विक चीजों की समझ भी अच्छी होगी...
शुरुआत से ही राजनीतिक परिवार में लालन-पालन हुआ है तो राजनीति की भी समझ होनी ही चाहिए....
पूरा परिवार हमेशा से 'गरीबी' दूर करने की बात करता रहा है तो ये भी माना जा सकता है कि गरीबों के सबसे बड़े हितेशी हैं...
'किसानों' के तो इतने बड़े हितैषी है कि सुरक्षा-व्यवस्थ
ा की परवाह किए बिना 'मोटरसाइकिल' से ही आंदोलन में पहुंच जाते हैं और उनके लिए 'आलू की फैक्ट्री' भी लगवा सकते हैं....
और आखिरी में सबसे बड़ी बात ये कि बीजेपी वाले इनका विरोध भी नहीं करेंगे क्योंकि वो तो इन्हें अपना 'स्टार प्रचारक' मानते हैं...
वैसे भी 'राष्ट्रपति' का पद 'प्रधानमंत्री' से बड़ा होता है तो राहुल को भविष्य में प्रधानमंत्री बनने की जरूरत नहीं पड़ेगी...
मेरे हिसाब से तो राहुल जी राष्ट्रपति पद के सर्वगुण संपन्न उम्मीदवार हैं
*छोटी मनुहार : पप्पू अंकल को राष्ट्रपति जुलुल जुलुल बनाओ*
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